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May 24, 2025
Nayikhabar-Sachhai Ke Saath
लेख

विश्व एड्स दिवस पर जानिये कुछ जरुरी बातें

1डिसम्बर को वर्ल्ड एड्स डे के रूप में मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO )  पिछले 30 वर्षों से वर्ल्ड एड्स डे मनाकर दुनिया भर के देशों को इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक करने की कोशिश  कर रहा है।आज एचआईवी एक विश्व स्तरीय स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है। इस बीमारी  से वर्ष 2017 में दुनिया भर के  लगभग 10 लाख लोगों की मौत हो गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा वर्ष 2030 तक दुनिया को एड्स से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। हालाँकि अभी तक इसमें कोई विशेष सफलता नहीं पायी गयी है। इस बात को लेकर  WHO गंभीर भी है।

क्या कहता है विश्व स्वास्थ्य संगठन का डेटा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस  भयंकर बीमारी से विश्व के  3.6 करोड़ से भी ज्यादा लोग ग्रसित हैं। इनमें से लगभग 69.93 प्रतिशत आबादी अफ्रीका की  है। आज तक लगभग 3.5 करोड़ लोगों की मौत एड्स से हो चुकी है।

भारत में लगभग 21 लाख लोग एचआईवी से पीड़ित हैं। जिनमें से 59 प्रतिशत लोगो को ARV केंद्रों पर निःशुल्क एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी द्वारा इलाज किया जा रहा है। भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में लगभग 1.5 लाख एड्स से पीड़ित मरीज है। जिनमें से सिर्फ 8 % आबादी को ARV इलाज  की सुविधा मिल रही है। अफ्रीका के सब – सहारन क्षेत्र में हर एक मिनट में 1 लड़की ( 14-24 साल उम्र के बीच ) एचआईवी के वायरस से ग्रस्त हो जाती है। यह बहुत ही गंभीर और विकट परिस्थिति है।

गौरतलब है कि दुनिया के कई छोटे बड़े देशों के एड्स रोगियों की जानकारी WHO के पास भी नहीं हैं। इनमें यूएसए(अमेरिका ) कनाडा,चीन, क्रोएशिया,फ़िनलैंड, इस्रायल,स्वीडन, स्विट्जरलैंड, अफगानिस्तान, भूटान, इराक के साथ साथ अंडोरा, एंटीगुआ जैसे कई पिछड़े देश भी शामिल हैं। संभावना है कि इन देशों में भी बड़ी सख्या में एड्स के मरीज होंगें।

कब हुई थी एचआईवी की पहचान

1980 के दशक की शुरुआत में एड्स की बीमारी के कारण के रूप में एचआईवी की पहचान की गई थी।  पहले इस संक्रमण का कारण विकसित देशों में समलैंगिक पुरुषों के संबंधों और ड्रग्स लेनेवालों  पुरुषों के एक ही  इंजेक्शन के इस्तेमाल करने को माना जाता था । 1 9 83 में पहली बार एचआईवी वायरस की पहचान  इंस्टीट्यूट पाश्चर के  डॉ फ्रैंकोइस बैर-सिनाउसी और डॉ ल्यूक मोंटग्निएयर द्वारा  किया गया था। इसी वर्ष ने विश्व भर में  एड्स की स्थिति का आकलन करने और अंतर्राष्ट्रीय निगरानी शुरू करने के लिए पहली बैठक आयोजन किया।  तब यह था कि  पता चला कि एचआईवी रक्त संक्रमण के माध्यम से विषमलैंगिक ( महिला – पुरुष ) लोगों के बीच भी फैल सकता है, और संक्रमित गर्भवती मां  से उसके बच्चों को एचआईवी हो  सकता हैं।

कैसे रखें सावधानी

प्रत्येक स्त्री पुरुष को कंडोम के इस्तेमाल में किसी भी प्रकार की शर्म से बचाना होगा। सरकारी, सामाजिक व पारिवारिक स्तर पर भी लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। किसी भी प्रकार के अनैतिक, आप्रकृतिक  और अनजान व्यक्ति से सेक्स सबंध स्थापित करने से परहेज करना चाहिए। एक बार इस्तेमाल की जा चुकी सुई और ब्लेड को निसंक्रमित कर के ही फेंकें। इस बात का भी ध्यान रहे कि उनका दोबारा इस्तेमाल न हो । स्वैच्छिक स्तर पर एच आई वी की जांच के लिए भी लोगों को जागरूक होना जरुरी है। एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी के द्वारा भी एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति लम्बी और स्वस्थ जिंदगी जी सकता है।

क्या भारत के प्रधानमंत्री एड्स को लेकर गंभीर नहीं है

90 के दशक में भारत सरकार के द्वारा एड्स के प्रति लोगों में काफी जागरूकता फैलाई गयी थी। टीवी, रेडियो,अखबार और होर्डिंग के कई कार्यक्रमों व विज्ञापनों,  स्वयंसेवी संस्थाओं, फिल्म व खेल जगत के लोकप्रिय चेहरों के माध्यम से जन जागरूकता अभियान चलाया था। हालांकि सोशल मिडिया पर सक्रिय रहनेवाले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने एड्स के लिए कोई ट्वीट नहीं किया। जबकि नरेंद्र मोदी के द्वारा G 20 सम्मेलन की कई तश्वीरें ट्वीट की गयी हैं।

हालाँकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा,कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट, एनसीपी नेता सचिन अहीर, डीएमके की कानिमोझी ने अपने अपने शब्दों में एड्स के खिलाफ चल रही लड़ाई में अपनी अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है।

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