आजकल राजनीति में चुनावी समीकरण बनाने और बिगाड़ने में सोशल मिडिया की भी बड़ी भूमिका हैं। सभी पार्टियों और उनके प्रत्याशियों का अपना वार रूम स्थापित किया जाता है। उम्मीदवारों के चुनावी मुद्दों- घोषणाओं, सभाओं – वक्तव्यों, उपलब्धियों, पम्पलेट्स, प्रचार गीत को फेसबुक,व्हाट्स एप्प, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे सोशल नेटवर्किंग माध्यम से जनता के सामने परोसे जाते हैं।
अंधेरी (पूर्व) विधानसभा में अपक्ष उम्मीदवार मुरजी पटेल और शिवसेना प्रत्याशी रमेश लटके में कांटे की टक्कर हो रही है। लेकिन सोशल मिडिया की प्रतिस्पर्धा में मौजूदा विधायक रमेश लटके उनके प्रतिद्वंदी मुरजी पटेल से बहुत पीछे चल रहे हैं। ‘ रमेश लटके’ नाम के पेज को मात्र 1652 लोगों ने लाइक व सबस्क्राइब किया है। वहीं दूसरी तरफ ‘मुरजी पटेल’ के पेज को 8285 लोगों ने लाइक कर लिया। इसके अलावा रमेश लटके के पेज अकाऊंट पर लोगों की प्रतिक्रिया भी सीमित मिल रही है। जहाँ मुरजी पटेल के पेज पर कुछ पोस्ट के औसतन 300 लाइक्स और 30 पोस्ट शेयर बन रहे हैं, वहीं मौजूदा विधायक लटके जी के 15-20 लाइक्स और 5-8 पोस्ट शेयर हो रहे हैं। यहाँ मुरजी पटेल और उनके समर्थक चैम्पियन की भूमिका निभा रहे हैं।
इसके अलावा मुरजी पटेल और रमेश लटके के उपलब्धियों में असमानता नजर आ रही है। फेसबुक और व्हाट्स एप्प पर मुरजी पटेल के समर्थक उनके नेता के 20 वर्षों से किये सामाजिक कार्यों के बखान में जुटे हैं। यहाँ भी रमेश लटके जी के समर्थक अपने कार्यों का बखान न करते हुए मुरजी पटेल पर व्यक्तिगत टिपण्णी में लगे हुए हैं। यह एक नकारात्मक सन्देश जनता के बीच प्रस्तुत हो रहा है।
डिजाइन के नजरिये से रमेश लटके के समर्थकों के प्रचार सामग्री मुरजी पटेल के प्रचार सामग्री से बेहतर हैं। दोनों के प्रचार गीत एक दूसरे को टक्कर दे रहे हैं, लेकिन मुरजी पटेल के समर्थनवाले रैप सांग ने युवाओं को अच्छा खासा आकर्षित किया है।
चुनावी वादों के मामले में मुरजी पटेल ने विधानसभा में मूलभूत समस्याओं के समाधान को चुनावी मुद्दा बनाया है। वहीं रमेश लटके जी के पास एक मात्र शिवसेना पार्टी के मेनिफेस्टो को जनता के बीच ले जा सकते हैं।
बहुत से चुनावी समीकरण सोशल मिडिया के माध्यम से बदलते देखे जा चुके हैं। मौजूदा विधायक रमेश लटके भाजपा – शिवेसना के वोटबैंक के दम पर चुनावी दंगल में ताल ठोंक रहे हैं। मुरजी पटेल खुद की उपलब्धियों से जनता के उम्मीदवार के रूप में खुद को स्थापित कर रहे हैं। भले ही सोशल मिडिया के प्लेटफार्म पर मुरजी पटेल ने मैदान मार लिया हैं, लेकिन असली बाजी कौन मारेगा ? इसका फैसला तो मतदाता वोटिंग के माध्यम से ही करेंगे।